मंगलवार को संसद में नागरिकता संशोधन विधेयक होगा पेश

खास बातें



  • सोमवार को लोकसभा में प्रस्तावित (पेश) है नागरिकता संशोधन विधेयक-2019

  • मंगलवार को चार घंटे चर्चा के लिए निर्धारित

  • असम, नागालैंड, अरुणाचल की सरकारों ने जताई आपत्ति

  • अरुणाचल, नागालैंड, मिजोरम ने उठाया इनर लाइन परमिट का मामला



 

मोदी सरकार 2.0 में अभी तक सबसे अधिक कामकाज केंद्रीय गृह मंत्रालय का नजर आ रहा है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने जहां जम्मू-कश्मीर की वैधानिक स्थिति में बदलाव का कानून पारित कराया, अनुच्छेद 370 समाप्त हुआ और जम्मू-कश्मीर और लद्दाख अलग राज्य बने, वहीं केंद्र सरकार ने मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से मुक्ति दिलाने का कानून पारित कराया। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह एक बार फिर 1955 के भारतीय नागरिकता कानून में बदलाव के लिए तैयार हैं। नागरिकता संशोधन विधेयक के बहाने वह एक बार फिर विपक्षी एकता की अग्निपरीक्षा लेना चाहते हैं।


असम, मणिपुर नागालैंड को नये ड्राफ्ट पर एतराज


केंद्रीय गृहमंत्री सोमवार नौ दिसंबर को लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पेश करने की तैयारी कर रहे हैं। 10 दिसंबर, मंगलवार को इस विधेयक पर चार घंटे की चर्चा प्रस्तावित है। विधेयक के मसौदे में भारत के पड़ोसी मुस्लिम देश (पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान) से उत्पीड़न का शिकार होकर भारत आने वाले गैर मुस्लिम लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है। इसके तहत मुस्लिम देशों को छोड़कर छह साल पहले भारत में आकर शरण ले चुके हिन्दू, सिख, ईसाई, बौद्ध, पारसी, जैनियों को भारतीय नागरिकता दिए जाने का रास्ता साफ होगा।
 

हालांकि केंद्र सरकार के इस मसौदे को लेकर असम, मणिपुर, नागालैंड राज्यों के मुख्यमंत्रियों को गहरी आपत्ति है। तीनों राज्यों के पीपुल्स संगठनों ने भी इसको लेकर कड़ा एतराज जताया है और इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने गृहमंत्री शाह से मिलकर अपनी चिंता जाहिर की है।

क्या है तर्क


तीनों राज्यों का कहना है कि उन्हें नागरिकता संशोधन विधेयक के इस प्रावधान से छूट दी जानी चाहिए। मणिपुर, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश का तर्क है कि उनके यहां इनर लाइन परमिट (आईएलपी) लागू है। बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन 1873 का सेक्शन दो, तीनों राज्यों को नागरिकता संशोधन विधेयक के मसौदे के दायरे से बाहर रखता है। अत: केंद्र सरकार को तीनों राज्यों को नागरिकता संशोधन विधेयक के दायरे से बाहर रखना चाहिए।

इस मांग को लेकर मणिपुर पीपल अगेंस्ट सिटीजनशिप अमेंडमेंट बिल, जिलियांग यूनियन (असम, मणिपुर, नागालैंड ईकाई), नार्थ ईस्टर्न फोरम और कुकी मणिपुर के प्रतिनिधियों ने गृहमंत्री से भेंट की है। सूत्र बताते हैं कि गृहमंत्री ने उनकी चिंताओं पर ठोस विचार करने का आश्वासन दिया है।

विपक्ष की अग्निपरीक्षा


महाराष्ट्र में भाजपा का साथ छोड़कर आई शिवसेना नागरिकता संशोधन विधेयक का समर्थन कर रही है। यह एनसीपी प्रमुख शरद पवार और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के लिए चिंता की बात है। क्योंकि दोनों ही दल सरकार इस विधेयक से सहमत नहीं है। सूचना है कि शुक्रवार को शरद पवार महाराष्ट्र जा रहे हैं। वह इसके बारे में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से चर्चा कर सकते हैं। कांग्रेस के नेताओं ने भी उद्धव ठाकरे से चर्चा किए जाने का संकेत दिया है।

केंद्र सरकार की तरफ से लाए जा रहे इस विधेयक का विरोध टीएमसी के नेता और राज्यसभा सदस्य डीरेक ओ ब्रायन भी कर रहे हैं। ब्रायन का कहना है कि यह आदिवासियों के लिए नई मुसीबत खड़ा करेगा। ऐसे में विपक्ष की योजना लामबंद होने की है। विपक्ष के नेताओं का कहना है कि लोकसभा में केंद्र सरकार के पास पूर्ण बहुमत है, लेकिन राज्यसभा में बाजी पलट सकती है। ऐसे में विधेयक के खिलाफ एकजुटता बना पाना विपक्ष के लिए अग्निपरीक्षा जैसा ही है।